संघ लोक सेवा आयोग UPSC की परीक्षा को देश का सबसे कठिन परीक्षाओ में से एक माना गया है. और इस कठिन परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए लाखों कैंडिडेट्स इस कठिन परीक्षा में सामिल होते है. किन्तु सफलता कुछ तेज तरार कैंडिडेट्स ही हासिल कर पाते है.

उम्मुल खेर की कहानी एक असाधारण संघर्ष की दास्तान है. राजस्थान के पाली के एक गरीब मारवाड़ परिवार में जन्मी उम्मुल ने बचपन से ही चुनौतियों का सामना किया. बोन फ्रजाइल डिसऑर्डर से पीड़ित होने के कारण उनकी हड्डियां बार-बार टूटती थीं. और उन्होंने अपनी ज़िंदगी में कुल 16 फ्रैक्चर और 8 सर्जरी झेली हैं.

उनकी आर्थिक स्थिति भी दयनीय थी. पिता के कपड़े बेचने के काम से परिवार का गुजारा चलता था. लेकिन जब उनके पिता ने परिवार सहित दिल्ली की झुग्गी में शिफ्ट किया. तो हालात और भी कठिन हो गए. सरकारी आदेश पर झुग्गियां तोड़ी गईं और परिवार त्रिलोकपुरी के स्लम एरिया में रहने लगा.

बात करे हम इनकी पढाई लिखाई कि तो बचपन से ही पढाई लिखाई में तेज उम्मुल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के गार्गी कॉलेज से साइकोलॉजी में ग्रेजुएशन किया. और जेएनयू से एमए व एमफिल की डिग्री प्राप्त की. उनके संघर्ष ने उन्हें यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने की प्रेरणा दी 2016 में उन्होंने पहले प्रयास में 420वीं रैंक प्राप्त की और IAS बनने का सपना पूरा किया.