खुशबू कभी बच्चो को स्कूल में पढ़ाती थी. काफी सालों से बच्चो को पढ़ाने से उन्हें काफी लगाव हो गया था. अचानक एक दिन खुशबू बीमार हो गई. उन्हें इलाज के लिए स्कूल मैनेजमेंट से छुट्टी मांगी. परन्तु उनकी छुट्टी रिजेक्ट कर दी गई. उनको कहा गया की बीमार होने के बावजूद पढाना होगा. यह सुनकर खुशबू को बहुत धक्का लगा. वो हरियाणा के करनाल की रहने वाली है.
वहां के बच्चों से लगाव होने के बावजूद वो अपने स्कूल की नौकरी से रिजाइन कर दिया. फिर वो अपना इलाज करवाई और ठीक हो गई. वो बेरोजगार हो चुकी थी. उन्हें समझ में नहीं आ रहा थी की क्या करे. फिर खुशबू ने अपना प्ले स्कूल खोलने का सोचा. उन्होंने अपने प्ले स्कूल का नाम Happy Mind Play Way रखा.
धीरे-धीरे आसपास के सभी घरों में यह बात फ़ैल गई. कुछ लोगो ने अपने छोटे बच्चों का Happy Mind Play Way में दाखिला भी करवाया. पहले ही वर्ष में खुशबु में स्कूल में 15 से ज्यादा बच्चे हो गए थे. इस वर्ष तो उनके प्ले स्कूल में काफी बच्चे हो गए है.
इस तरह एक महिला ने अपने दम पर आत्मनिर्भर बनी. उन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष के जरिए एक समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की कोशिश की. खासकर महिलाओ के बिच. उनकी कहानी सिखाती है कि जब आपके पास समस्याओं का सामना करने की क्षमता हो तो आपको हिम्मत से लड़ना और समाधान खोजना भी अपने आप आ जाता है.