बिहार में मेट्रिक बोर्ड ने मैट्रिक परीक्षा के परिणाम को घोषित कर दिया है. जिसमे पूर्णिया जिला के शिवांकर ने टॉप किया है. घर में माता-पिता के साथ पढाई करना तब भी उतना कठिन नहीं माना जाता जितना कोई अपने अकेले के दम पढाई करके सफलता पाता है. बिहार के गया जिले में कुछ ऐसा ही वाक्या देखने को मिला जिसमे कई बच्चों ने फैक्ट्री में काम करने के वजाय पढने का सोचा. चलिए जानते है गया जिले के कुछ ऐसे छात्रों के बारे में जिसने ये मुकाम हासिल की है.
प्रखंड क्षेत्र | छात्र | अंक |
---|---|---|
परैया | मो. सद्दाम | 356 |
परैया | रंजीत कुमार | 293 |
चंदौती | शिवपूजन | 268 |
चंदौती | नीतीश कुमार | 361 |
इमामगंज | मोनू कुमार | सेकंड श्रेणी |
ये सभी बच्चे आर्थिक रूप से काफी गरीब थे. वे राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में चूड़ी के फैक्ट्री में काम करते है वे काफी कम उम्र के थे. लेकिन भला हो एक NGO का जिसने इन सभी बच्चों को उस फैक्ट्री से छुडवाया और पढने के लिए जगह दी. सबसे पहले उनको कुछ समय के लिए मदरसे में रखा गया गया था. बाद में सभी बच्चो को उनके घर भेज दिया गया.
आज ये सभी बच्चे (मो. सद्दाम, रंजीत कुमार, शिवपूजन, नीतीश कुमार और मोनू कुमार ) बिहार बोर्ड में मेट्रिक के परीक्षा में अच्छे अंक से पास हुए है. इनकी सफलता का कुछ श्रेय उस NGO को जाता है. बाकी की श्रेय इन सभी मेहनती बच्चो को जाता है. जिसने काफी कम संसाधन होने के बावजूद भी मेट्रिक बोर्ड में अच्छे अंक से पास हुए है.