महाराष्ट्र की एक बन्दे की कहानी जो गरीबी के बावजूद सफलता की ओर बढ़ती है। धारावी-सायन कोलीवाड़ा के लोगों का सपनों को पूरा करने का जज्बा होता है। 26 साल का उमेश दिलिराव कीलू ने भारतीय सेना में शामिल होने का फैसला किया था। उनके पिता की मौत के बाद उन्होंने सेना में प्रवेश किया। उमेश ने छात्रवृत्ति प्राप्त कर अपनी पढ़ाई पूरी की।

वह अपने धर्मनिरपेक्ष कॉफी शॉप में काम करते रहे थे। उन्हें टाटा, पीएफ डावर, और महालक्ष्मी ट्रस्ट से सहायता मिल रही थे। उमेश ने आईटी में बीएससी और कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री प्राप्त की थी। उनके परिवार के नौ सदस्य उनकी OTA पासिंग आउट परेड में भाग लिए थे।

बता दें की उमेश के पिता पेंटर थे, फिर भी उन्होंने सेना में शामिल होने का सपना देखा। उन्होंने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में और ब्रिटिश काउंसिल में भी काम किया था। उमेश ने कुल 13 प्रयासों के बाद SSB परीक्षा पास कर लिया। उन्होंने अन्य युवाओं को सलाह दी कि कड़ी मेहनत से सपनों को पूरा किया जा सकता है। उन्होंने आगे बढ़ने और समस्याओं का सामना करने की सलाह सभी युवाओ की दी है। उन्होंने अपनी परीक्षा में असफलता के बावजूद अभ्यास करते रहने की सलाह दी। उमेश की कड़ी मेहनत और संघर्ष से उन्होंने सपनों को पूरा किया। उमेश की कहानी गरीबी और संघर्ष को पराजित करने का प्रेरणादायक उदाहरण है।

वह अपने सपनों की प्राप्ति के लिए किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मान रहे थे। उमेश ने अपनी मेहनत और विश्वास से आत्म-समर्पण किया। उन्होंने अपने जीवन में आने वाली हर मुश्किल का सामना किया और सफलता की ओर अग्रसर हुए।

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