आईएएस अधिकारी बनना कई लोगों का सपना होता है. लेकिन यह सपना को हकीकत में पूरा बहुत कम ही लोग कर पाते है. क्योकीं आईएएस अधिकारी बनने के लिए देश के सबसे कठिन यूपीएससी की परीक्षा पास करना होता है. तब जाकर ही आप आईएएस अधिकारी बन सकते है. वही आज के इस आर्टिकल में हम केरल की पहली आदिवासी महिला आईएएस अधिकारी श्रीधन्या सुरेश के बारे में बताने जा रहे है.

आईएएस अधिकारी श्रीधन्या सुरेश का जन्म केरल के सबसे पिछड़े वायनाड जिले के एक छोटे से गांव पोजुथाना में हुआ था. उनके पिता एक दिहाड़ी मजदूर थे जो गांव के जंगल में लकड़ी काटकर धनुष तीर बनाकर बाजार में बेचते थे. जिससे इनके घर का पालन पोषण होता था. वहीं उनकी मां भी मनरेगा के तहत काम करती थीं. माता – पिता के आलावा इसके परिवार में कुल तीन भाई – बहन थे.

आईएएस अधिकारी श्रीधन्या सुरेश कुरीचिया जनजाति से ताल्लुक रखती हैं. भले ही उनके माता – पिता की आमदनी अधिक नहीं थी. लेकिन उन्होंने अपनी बेटी की पढ़ाई में कोई रुकावट न आने दी. जिससे इनकी बेटी श्रीधन्या सुरेश ने गरीबी के चलते अपनी शुरूआती शिक्षा केरल के वायनाड जिले में पुरे की और बाद में कालीकट विश्वविद्यालय से एप्लाइड जूलॉजी में परास्नातक की डिग्री हासिल की.

इसके बाद उन्होंने आईएएस अधिकारी बनने की जिद ठान ली और महज़ 22 साल की उम्र में साल 2018 की यूपीएससी की परीक्षा के पहले अटेम्प्ट में ही पुरे ऑल इंडिया में 410 वा रैंक हासिल कर आईएएस अधिकारी बन गई. वही आईएएस अधिकारी श्रीधन्या सुरेश केरल की पहली आदिवासी महिला आईएएस अधिकारी हैं. इनके जीवन का यह संघर्ष बहुत ही कठिन जनक रहा.

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