Vikas Rishidev From chores to pilot: विकास ऋषिदेव एक गरीब परिवार से आते है. गरीब इतने थे की पढाई लिखाई में होती थी दिक्कत. फिर भी विकास ऋषिदेव ने गरीबी में अपने पढ़ाई को नहीं छोड़ा। उन्होंने ‘ग्रुप डी’ से लोको पायलट बनने तक कठिनाईयों का सामना किया। उनके परिवार की संघर्षों और सामाजिक असमानता के बारे में कहानी सुनकर लोग भावुक हो गए। उनका उदाहरण उनके गांव को प्रेरित कर रहा है।

विकास ऋषिदेव के माता-पिता 2003 में चल बसे थे. उनके चले जाने के बाद अचानक से उनके जीवन में कठिनाई आना शुरू हो गया था. जिनके कारण उन्हें बड़ी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने निर्धारित किया कि उन्हें उन सभी कठिनाईयों के बावजूद आगे बढ़ना है।

वह मधेपुरा से इंटर की पढ़ाई की और अपने खर्च निकालने के लिए कई जगह पर काम भी करने लगे। इंटर की पढ़ाई के साथ-साथ सरकारी नौकरी यानि उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी करनी शुरू कर दी। कड़ी मेहनत एक दिन रंग लाया और 2007 में उनका जीवन की एक महत्वपूर्ण मोड़ आया जब वे लोको पायलट बने।

लोको पायलट बनने के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई को कभी नहीं छोड़ा. यही पढाई लिखाई उन्हें सफलता की ओर ले जा रहा था। विकास की कहानी से यह साबित होता है कि कोशिश करने वालों की हार कभी नहीं होती। विकास ने मुरहो गांव से निकलकर अपने सपनों को पूरा किया। वे अब अपने समाज के युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं। उन्होंने अपनी कठिनाइयों को एक दुर्घटना नहीं माना, बल्कि उन्हें एक अवसर में बदल दिया। विकास की कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि संघर्ष करने वालों की कभी हार नहीं होती, अगर वे अपने सपनों की दिशा में लगे रहें।

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