जीवन में परिस्थिति चाहे कैसी भी हो लेकिन जिसने लड़ा नहीं उनको सफलता पाने का कोई अधिकार नहीं है. हमें अपने खराब परिस्थिति को एक सीढी के तरह इस्तेमाल करनी चाहिए. आज भी हमारे भारत की महिलाएं काफी पिछड़ी हुई है. इन्ही में से कोई ऐसी महिला होती है जो विपरीत परिस्थिति का सामना करते हुए सफलता हासिल करती है.
भावना केसर जो जम्मू कश्मीर के रहते वाली है. इन्होने काफी संघर्ष भरा जीवन जिया है. वो कभी हार नहीं मानी . अपने कठिन परिश्रम के बदौलत जज बनकर अपने गाँव और परिवार दोनों का नाम रौशन किया है. आज केसर भावना एक प्रतिष्ठित न्यायिक अधिकारी के रूप स्थापित हो चुकी है.
भावना के पिता एक दर्जी हैं. जब भावना पढ़ रही थी तब उनके घर की काफी बुरी हालत थी. पिता दर्जी का काम करके घर चलाते थे. उनके पिता की छोटी सी दुकान से मिलने वाली आमदनी ही उनके पाठ्यक्रम का खर्च होती थी. जब जरुरत पड़ती तो भावना भी अपने पिता का हाथ बढ़ाने सिलाई का काम शुरू कर देती. इस तरह कठिन परिश्रम करके उन्होंने ये मुकाम हासिल की है.
जो भी लोग भावना को जानते है वो कहते है भावना केसर सिर्फ सभी गाँव ही नहीं बल्कि देश के समस्त महिला के लिए एक प्रेरणा दायक काम किया है. उन्होंने ज्यूडिशियल सर्विसेज द्वारा आयोजित परीक्षा में सफलता प्राप्त करके जिले के लिए न्यायिक अधिकारी के पद पर बैठने का संघर्ष किया.
भावना केसर की इस उदाहरणीय कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कभी भी छोटे सपनों को छोड़ने की जगह बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करना चाहिए। उन्होंने न सिर्फ अपने परिवार का नाम रोशन किया है बल्कि पूरे गाँव की भी।