एक समय था जब बिहार जैसे राज्यों में बालिकाओं को पढ़ाने लिखाने में अभिवावक ज्यादा रूचि नहीं रखते थे. लेकिन अब समय पूरी तरह से बदल गया है. बिहार जैसे पिछड़े राज्यों केलिए इससे अच्छी बात वर्तमान में कोई नहीं हो सकती. क्योकि समाज के उत्थान में पुरुष के योगदान के साथ साथ महिलाओं के योगदान की भी उतनी भी आवश्यकता है. अगर महिला और पुरुष दोनों मिल कर बिहार का बीड़ा उठा सके तो वो दिन दूर नहीं जब बिहार पूरी तरह से एक विकसित राज्य बन जायेगा. आज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. जिसमे बिहार के एक बालिका ने कड़ी मेहनत के बदौलत आद्वितिय सफलता हासिल की है. बात दें की बिहार के जमुई जिले की प्रिया सिंह ने सफलता की एक नई मिसाल पेश की है. प्रिय सिंह एक साधारण किसान परिवार से आती है.

बिहार के जमुई जिलें की रहने वाली प्रिय सिंह आज वह अनुमंडल कृषि पदाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं. यह मुकाम तक पहुचना इतना भी आसान नहीं था. यह उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष का नतीजा है. प्रिया के परिवार का आर्थिक स्थिति अच्छा नहीं था. उनके पिता किसान हिया. घर में हमेशा आर्थिक संघर्ष चलता रहता था. लेकिन प्रिया ने कभी हार नहीं मानी. उन्होंने अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया और पूरी मेहनत की. प्रिया सिंह बखूबी जानती थीं कि शिक्षा ही उनके जीवन का सबसे बड़ा सहारा बन सकती है.

अगर हम उनके शिक्षा की बात करे तो प्रिया सिंह ने अपनी शिक्षा बेंगलुरु से प्राप्त की. उन्होंने कृषि विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की. यह उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी. इस दौरान उनका परिवार भी उन्हें हर कदम पर सहयोग करता रहा. उनके छोटा चाचा राजेश कुमार सिंह किसान सलाहकार हैं. उनके चाचा ने हमेशा प्रिया को प्रोत्साहित किया. प्रिया का सपना हमेशा से कृषि क्षेत्र में कुछ बड़ा करने का था. वह चाहती है कि किसानों की स्थिति में सुधार हो. हमारा देश कृषि प्रधान देश है. इसलिए अगर कृष के क्षेत्र में उन्नति हो पाई तो देश काफी तेजी से आगे बढ़ेगी.