Success Story: दोस्तों यह कहानी है. गुजरात के राजकोट जिले के एक गौपालक रमेश भाई रूपारेलिया की. बता दे कि रमेश भाई रूपारेलिया ने अपनी मेहनत से देशी गाय और प्राकृतिक खेती के दम पर सफलता हासिल की है. गरीबी और कठिनाइयों का सामना करते हुए रमेश भाई ने इतनी बड़ी सफलता हासिल की है. आइये जानते है इनकी इतनी बड़ी सफलता के बारे में…

जानकारी के अनुसार साल 2010 में किराए की जमीन पर खेती शुरू करने वाले रमेश भाई ने रासायनिक खाद की जगह गाय के गोबर से बनी खाद का उपयोग किया. धीरे-धीरे उनकी सफलता बढ़ने लगी और उन्होंने अपनी खुद की चार एकड़ जमीन खरीदी. यहां उन्होंने जैविक खेती और गौपालन का व्यवसाय शुरू किया.

वही आपको बता दे कि रमेश भाई के गौशाला में 250 से ज्यादा गिर गायें हैं. गिर गायों की विशेषता है कि वे कम भोजन में भी अधिक दूध देती हैं. जिनके दूध से बने उत्पादों की विदेशों में भारी मांग है. इन गायों के दूध से बने उत्पाद, जैसे मक्खन, घी, और छाछ, अंतरराष्ट्रीय बाजार में लोकप्रिय हैं.

रमेश भाई ने अपने उत्पादों की मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया और उचित प्रमाणपत्र एवं लाइसेंस प्राप्त किए. रमेश भाई का मानना है कि प्रैक्टिस ऐसे करें जैसे आपने कभी जीता नहीं और परफॉर्म ऐसे करें जैसे आपने कभी हारा नहीं और यही उनका सफलता का मंत्र है.

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