यह कहानी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के छोटे से गांव टिटोड़ा के रहने वाले अतुल कुमार की है. अतुल कुमार ने अपने संघर्ष, मेहनत और सपनों को पूरा करने के लिए एक मिसाल कायम कर दिया है. आपको बता दें की अतुल कुमार एक गरीब परिवार से ताल्लुकात रखते है. उनका जीवन गरीबी में ही बिता है. लेकिन उन्होंने कुछ ऐसा कर दिया है की वे सभी युवाओं के लिए मिसाल बन गया है. अतुल कुमार ने JEE में अच्छे रैंक से पास हुए है. उनको IIT धनबाद में एडमिशन के लिए सीट अलोट हुआ था. बचपन से ही इस लड़के को गरीबी में पले-बढ़े अतुल का सपना डॉक्टर या इंजीनियर बनने का था. कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने न केवल NEET और JEE जैसी कठिन परीक्षाएं पास कीं, बल्कि IIT धनबाद में इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में एडमिशन भी हासिल किया.

लेकिन दुःख की बात यह रही की जब बात एडमिशन की आई तो अतुल कुमार के पिता के पास इतने पैसे ही नहीं थी की वो जल्दी जा कर IIT धनबाद में एडमिशन करवा सके. पैसों की कमी उनके सपनों के आड़े आ गई. एडमिशन के कारण अतुल के घर वालों में आसपास के कुछ मदद लेकर और पैसो के लिए जुगार कर फिर से IIT में एडमिशन के लिए गए. तो पता चला की अब सीट नहीं बची है. अतुल कुमार का बचपन संघर्षों से भरा रहा. आर्थिक तंगी के कारण उन्हें पढ़ाई के दौरान कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद अतुल ने हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई जारी रखी. उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी .

IIT धनबाद में एडमिशन मिलने के बाद जब अतुल को फीस जमा करनी थी तो उनके पास पैसे नहीं थे. उन्होंने अपने सपनों को टूटते हुए देखा. जब सभी दरवाजे बंद हो गए थे तब सुप्रीम कोर्ट ने अतुल कुमार के लिए उम्मीद की किरण दिखाई. कोर्ट ने आईआईटी धनबाद को आदेश दिया कि अतुल को उसी ब्रांच में एडमिशन दिया जाए, जहां उनका चयन हुआ था.