Success Story: संघर्ष तो सब के जीवन में है. आज तक कोई भी ऐसा सफल इन्सान नहीं हुआ जिसे कड़ी संघर्ष न करना पड़ा हो. संघर्ष सफलता की नियति है. कई लोग अपने संघर्ष के दिन में हार मान लेते है और कई लोग कभी हार नहीं मानते चाहे उनके रास्ते में कितनी भी अडचने आये. वो अपने मुकाम पर पहुच कर ही दम लेते है. शुभम नरवाल ने भी कभी हार नहीं मानी और जो करना चाहते थे वही किया और सफलता पाई.
शुभम ने NDA की परीक्षा को अच्छे नंबर से पास किया है. वो अब एक नौसेना के अधिकारी बनेंगे. लेकिन ये सफ़र इतना भी आसान नहीं था. शुभम ने अपनी इच्छा शक्ति से ये मुकाम हासिल की है. बता दें की शुभम के पिता नहीं है. वे 2015 में ही जा चुके है. उनकी माँ ने उनको पढाया लिखाया है.
शुभम को शुरू से ही NDA में जाना था. एक बार वो चंडीगढ़ में एक कोचिंग सेंटर NDA की तैयारी के लिए एडमिशन लेने गए थे. लेकिन शुभम के पास तीन हजार रूपये नहीं थे की वो वहां पढाई कर सके. उनका वहां एडमिशन नहीं हो पाया. फिर माँ ने पैसे जुटाने के लिए मनरेगा में मजदूरी करना शुरू कर दिया.
माँ मजदूरी करती थी. बेटा मन लगा कर पढ़ रहा था. यह क्रम कई वर्षो तक चला. संघर्ष के दिन आसान न थे. प्रतिदिन शुभम अपने माँ से यही कहता “मै एक दिन बड़ा आदमी बनूँगा, फिर आपको ये मजदूरी वाला काम नहीं करने दूंगा.” और माँ के आशीर्वाद और कठिन परिश्रम से शुभम ने NDA की परीक्षा पास कर ली.
आज शुभम नरवाल एक सशक्त और समर्थ नेतृत्व के साथ अपनी देश की सेना में सेवा कर रहे हैं. उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर हमारे पास हौसला और हिम्मत है तो हम किसी भी काम को नामुमकिन से मुमकिन बना सकते हैं. शुभम की यह सफलता उनकी मां की मेहनत और उनके संघर्ष का प्रतीक है जो हमें साहस और प्रेरणा प्रदान करता है।